Dec 17, 2014

बचकानी छुट्टियाँ ...

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छुट्टियाँ बचपन सी बचकानी होती हैं और बचपन संक्रामक. जी हाँ हमने ठीक ही लिखा संक्रामक. बचपन से पीछा छुटा कर हम बडे तो होना चाहते हैं और खुशनसीबी की हम बडे भी हो जाते हैं. बचपन कहाँ पता  होता है कि बड़े होने पर कैसे कैसे पापड बेले जाते हैं. पापड बेल-बेल कर एक बार फिर बचपन से मुलाकात हो जाती है, अपने बच्चों के बचपन से. फिर शुरू होती हैं एक और बचपना बच्चे के बचपन से प्रेरित हो कर. उफ़... बचपन शब्द कुछ ज्यादा ही हो गया यहाँ तक. छोटे में कहें तो लग गयी न संक्रामक रोग. हमारी बात माने तो “छुट्टी मनाओ तो नत्थू लाल के संग... नहीं तो न मनाओ”. जब से बच्चे ने जन्म लिया है अकेले छुट्टी तो मना ही नहीं सके. वैसे चाह तो बहुत रहती है बिन बीवी बच्चे के छुट्टियाँ मनाने की. अब हर बार सिंगापूर, थाईलेंड थोड़ी जा सकते हैं. शिकायत नहीं है अकेलेपन न भोग पाने की.

बच्चों के साथ छुट्टियां हर बार कुछ नयी रही है. समुन्दर के किनारे बीवी के हाथों में हाथ ले कर कई बार रोमांटिक सी टहल कई बार की थी. बीच पर बच्चों के साथ रेत के किले बनाने में अपने दिन याद आ गए थे. अब भी हम रेत के किले बनाते हैं. उसमे किला होता है झंडे लगते हैं, छेद बनाकर दरवाज़े बनते हैं. बचों के संग giant wheel पर जब चढ़ा था तो उनके किलकारियों को सँभालने में हमारी खुद की चीखें गूम हो गयी थी. याद है वो दिन जब हम AquaticaPark गए थे, और giant waves के थपेड़ों में तैरना बच्चों से ही सिखा था.
बच्चों के संग छुट्टियाँ मनाना एक अनोखा लुत्फ़ हैं. पर उन्हें साथ ले जाने की तैयारी भी क्या कम तैयारी है अब आप ही देखिये कितने कुछ चीजें हैं...
1. WHEN :  कब है छुट्टी कब है... उफ़ शोले के स्टाइल में ही डायलॉग होती है ..कब हैं.... टाइम मिल गया तो,
2. DESTINATION  : कहाँ है जाना. कहाँ जाना है तो तय होता है की कब जाना है.
3. BUDGET : For the parents is the Biggest concern, specially when you earn a meagre sum of money.


एक बार ये तीनों सवालों का जवाब मिला नहीं की शुरू होती है बाप की पिसाई और माँ के डिमांड. वैसे हमे बहुत हद तक की आजादी है आगे के कामों के लिए, क्यूंकि बचवा के माई कुछों नहीं करती, अपने नखरे दिखने छोड़ के. हमारी इंजीनियरिंग के पढाई काम आते हैं... EXCEL की फाइल खुलती है और शुरू होती है रिसर्च.

1. BUILD A WORKBOOK : HOLIDAY PLANS… columns are defined : dates, place, attraction, travel price, entry fee, Kids interest, adult interest. This is very important for us as we need to visually understand what all activities are available for kids and us.

2. DO A RESEARCH WORK ON DESTINATION : in this world of IT and Internet, this is the best way to do this. I prefer going to sites like MakeMyTrip.com, Yatra.com, Expedia, and other travel sites which offers us a ready made package. This guides me with  the recommended itinerary.  I just copy n paste on excel sheet and then transfer it to Excel Sheet. Also, browsing local travel sites also helps to explore what others would not offer. I spend 2-3 days browsing them. Once I am done, I make a plan with all expected cost and activities.

3. BOOKINGS: I set automatic updates by airlines company to get the best deal. At sometime I would use my travel companies, like above mentioned ones to track the prices. Most of the time, I land up buying from these company as the offer are best due to bulk purchase they do.

एक बार जब सारे बड़े वाले काम हो जाते हैं, तो शुरू होती है छुट्टियों के मस्ती की तैयारी. अब तक हमे पता चल ही जाता है की हम क्या करने वाले हैं. तो शुरू होती है बच्चों के साथ बातें. बच्चों को प्रोजेक्ट देता हूँ की जहाँ हम जा रहे हैं वहां कौन कौन से अट्रैक्शन हैं ढूंढ कर इन्टरनेट से बताये हमें. बच्चों की मस्ती देखिये एक अच्छी खासी स्क्रैपबुक बन जाती है. फोटो प्रिंट कर, काट कर चिपकाए जाते हैं. जगह के बारे में विस्तार से हमे सुनाया जाता हैं. फिर उनके प्लान्स बनते हैं की वो क्या क्या करना चाहेंगे..जिन्हें वो wishlist के हिसाब से स्टार लगाते हैं. फिर क्या कर सकते हैं क्या नहीं उन पर पूरा परिवार बैठ कर बातें करते हैं.wishlist के हिसाब से एक दिन हम बाज़ार को निकलते हैं ताकि जरूरत की शौपिंग अभी से कर ले. आज कल हर जगह हर कुछ मिल जाती है पर छुट्टी पर जाने के लिए शोपिंग का अलग ही आनंद होता है.  अब यदि बीच जा रहे हैं, रेत से खेलने के सामन, स्नोर्क्लिंग करना है तो स्नोर्किंग किट, ठन्डे की टोपी आदि सब ख़रीदे जाते हैं छुट्टी पर निकलने से पहले हम पूरी तरह से लेस होते हैं. अब तक हम छुट्टी के मूड में आ ही चुके होते हैं. मैं मानता हूँ की ये बहुत जरूरी  है यदि आप छुट्टी को लम्बे समय तक अनुभव करना चाहते हैं तो..
इन दौरान, बच्चों के लिए बुखार, उलटी, अनपच, सरदर्द आदि की दवाई जुगाड़ की जाती है या खरीदी जाती हैं. हाँ, अपने साथ फर्स्ट एड बॉक्स, जिसमे बेंडेज, रुई, एंटी-सेप्टिक, आदि होता है, हम हमेशा रखते हैं. बच्चे हैं कब न जाने कहाँ टकरायेंगे.

एक बार पहुचें, तो बस बच्चा बन जाईये. उनके साथ उनके बचपन शेयर करने का आनंद ही कुछ और हैं
link : clubmahindra

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